Ashok Goel Architect

आर्किटेक्टस एक्ट एवं काउंसिल आफ आर्किटेक्चर की चुनावी प्रक्रिया – आर्किटेक्ट अशोक गोयल

Ashok Goel Architect

जब से सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है कि भवन निर्माण के क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति काम कर सकता है, भले ही उसके पास आर्किटेक्चर की डिग्री ना हो, तब से बहुत सारे आर्किटेक्ट इस बात की चर्चा करने लगे हैं कि क्यों नहीं आर्किटेक्टस ऐक्ट में अमेंडमेंट कर दिए जाते. बहुत सारे लोग इस बात की चर्चा भी करते हैं की Council of Architecture के प्रेसिडेंट का चुनाव आम चुनाव की तरह क्यों नहीं होता.

दरअसल अगर Architects Act 1972 पर निगाह डालें तो आपको पता चलेगा कि काउंसिल आफ आर्किटेक्चर का गठन किन नियम कायदों के तहत किया गया है. देश में इस समय लगभग डेढ़ लाख क्वालिफाइड और रजिस्टर्ड आर्किटेक्ट हैं इन सभी का पंजीकरण काउंसिल आफ आर्किटेक्चर द्वारा किया जाता है.

लेकिन लोगों का काउंसिल आफ आर्किटेक्चर के प्रेसिडेंट और वाइस प्रेसिडेंट के चुनाव में सीधा हाथ नहीं होता. काउंसिल आफ आर्किटेक्चर में चुनावी प्रक्रिया को समझने का प्रयास करते हैं.

देश के सभी राज्यों से एक-एक प्रतिनिधि राज्य सरकार के आदेश पर काउंसिल में सदस्य के रूप में जाता है. पांच लोग “इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट” के सदस्यों में से चुनकर प्रोफेशन का प्रतिनिधित्व करने के लिए काउंसिल में शामिल होते हैं.

शिक्षा संस्थानों के 5 सदस्य चुनाव के द्वारा काउंसिल में सदस्य के रूप में जाते हैं. इसके अलावा ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन यानी AICTE की तरफ से 2 सदस्य सरकार द्वारा नामित किए जाते हैं. इनके अलावा इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर और इसी तरह के अन्य संस्थानों की तरफ से भी उनके नुमाइंदे काउंसिल के सदस्य के रूप में नामित किए जाते हैं.

शिक्षा मंत्रालय की तरफ से भी एक सदस्य काउंसिल के सदस्य के रूप में भेजा जाता है. इस तरह से देखा जाए तो देशभर के आर्किटेक्ट में से सिर्फ 5 आर्किटेक्ट ही चुनाव के माध्यम से काउंसिल आफ आर्किटेक्चर की सदस्यता प्राप्त करने में सफल होते हैं.
पांच आर्किटेक्ट शिक्षा संस्थानों की तरफ से चुनाव के जरिए काउंसिल में स्थान पाते हैं.

बाकी सभी लोग केंद्रीय सरकार या राज्य सरकारों के नुमाइंदों के रूप में कार्य करते हैं. अब इन सभी सदस्यों में से काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर के प्रेसिडेंट और वाइस प्रेसिडेंट का चुनाव होता है और इनमें से ही काउंसिल आफ आर्किटेक्चर की एग्जीक्यूटिव कमेटी के सदस्य चुने जाते हैं.

यह सारी व्यवस्था “आर्किटेक्ट एक्ट” के तहत की गई थी जो 1972 में बना था. तब से लेकर आज तक इस एक्ट में कोई संशोधन नहीं हुआ है. इस एक्ट के सेक्शन 21 के तहत काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर को अधिकार है शिक्षा से संबंधित नियम कायदे बनाकर, उसका गजट नोटिफिकेशन करा कर, देशभर के शिक्षण संस्थानों के लिए लागू कर सके. इसी नियम के तहत 2020 में “मिनिमम स्टैंडर्ड फॉर आर्किटेक्चर एजुकेशन” में संशोधन किए गए और उसका गजट नोटिफिकेशन करके लागू कर दिया गया.

एक बात स्पष्ट रूप से समझ लीजिए कि आर्किटेक्ट एक्ट को जनसाधारण को शिक्षा प्राप्त, योग्य प्रोफेशनल देने के दृष्टि से तैयार किया गया था. इसका उद्देश्य आर्किटेक्ट की देखभाल करना नहीं था, बल्कि आर्किटेक्चर की तकनीकी शिक्षा और आर्किटेक्चर को व्यवसाय के रूप में सही प्रकार से स्थापित करना था. काउंसिल के गठन में सरकारी लोगों की बहुतायत के कारण बहुत सारे मसलों पर व्यवसायिक आर्किटेक्ट की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं की अवहेलना हो जाती है. क्योंकि अधिकतर सदस्य सरकारी आर्किटेक्ट हैं अतः उनकी यह कोशिश होती है कि कोई भी ऐसा कार्य ना करें जिससे ऐसा प्रतीत हो कि यह लोग सरकार की मुखालफत कर रहे हैं.

बहुत से लोग मुझे कहते हैं कि आप आर्किटेक्चर संप्रदाय के लिए लंबे समय से सक्रिय हो तो आप क्यों नहीं काउंसिल आफ आर्किटेक्चर के प्रधान का चुनाव लड़ते.

मैं समझता हूं कि अब काउंसिल आफ आर्किटेक्चर के गठन के बारे में सारी स्थिति स्पष्ट होने के बाद उनको समझ में आ जाएगा कि कोई भी व्यक्ति सिर्फ आर्किटेक्ट होने के कारण काउंसिल आफ आर्किटेक्चर में स्थान नहीं पा सकता. जब तक कोई व्यक्ति काउंसिल आफ आर्किटेक्चर का सदस्य नहीं बनेगा तब तक वह काउंसिल के प्रेसिडेंट का चुनाव नहीं लड़ सकता. कोई भी व्यक्ति/आर्किटेक्ट काउंसिल का प्रेसिडेंट तभी तक रह सकता है जब तक वह काउंसिल का सदस्य है.

एक बार ऐसी परिस्थिति पैदा हो गई कि राज्य सरकार ने अपने प्रतिनिधि को हटा दिया. श्री विश्वरंजन नायक उड़ीसा सरकार के प्रतिनिधि थे और कौंसिल के प्रधान के रूप में चुने गए क्योंकि उन्हें राज्य सरकार ने काउंसिल की सदस्यता से हटा दिया अतः उन्हें कौंसिल के प्रधान का पद भी छोड़ना पड़ा. उनकी जगह कौंसिल के उप प्रधान श्री विजय गर्ग ने “एक्टिंग प्रेसिडेंट” की तरह कार्यभार संभाला. जब काउंसिल के चुनाव हुऎ तब वर्तमान प्रेसिडेंट श्री हबीब खान जी चुने गए. पंजाब की प्रतिनिधि श्रीमती सपना वाइस प्रेसिडेंट के रूप में चुनी गई.

पहले आर्किटेक्चर के डिप्लोमा कोर्सेज AICTE के अंतर्गत आते थे. अब वह भी काउंसिल आफ आर्किटेक्चर के तत्वावधान में ही चलते हैं. एक बात और समझने की है कि AICTE में सभी सदस्य सरकार से तनख्वाह प्राप्त करते हैं और दफ्तर में पूरे समय बैठते हैं, संस्था को सरकार की तरफ से फंड भी मिलता है. लेकिन इसके विपरीत काउंसिल आफ आर्किटेक्चर के सदस्यों को काउंसिल की तरफ से तनखा नहीं मिलती. काउंसिल को सरकार से कोई फंड भी नहीं मिलता.

जब तक आर्किटेक्ट एक्ट में संशोधन ना हो तब तक कोई भी व्यक्ति सीधे जाकर काउंसिल आफ आर्किटेक्चर के प्रेसिडेंट का चुनाव नहीं लड़ सकता. सब से बड़ी विसंगति य़ह है कि नई दिल्ली स्थित Council के दफ़्तर में संस्था के प्रेसिडेंट, vice-president या किसी EC के सदस्य की उपस्थिति का कोई समय या नियम नहीं है.

काउंसिल के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए आप Architects Act 1972 को अच्छी तरीके से पढ़ें.

Share your comments

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Recent

Plot 33, Rajkot, by playball studio

‘Plot 33’ is nestled between a university campus and a small public park, gracing Rajkot’s urban landscape. Spanning 10 x 24 meters, the design prioritizes climate-responsive orientation, with cavity walls shielding the east and west, and a south-facing circulation core for harmony.

Read More »

An Architect Eats Samosa

ArchitectureLive! continues with Alimentative Architecture – The fifth in a series of articles by Architect-Poet-Calligrapher H Masud Taj interfacing architecture with food via geometry.

Read More »

The Stoic Wall Residence, Kerala, by LIJO.RENY.architects

Immersed within the captivating embrace of a hot and humid tropical climate, ‘The Stoic Wall Residence’ harmoniously combines indoor and outdoor living. Situated in Kadirur, Kerala, amidst its scorching heat, incessant monsoon rains, and lush vegetation, this home exemplifies the art of harmonizing with nature.

Read More »

BEHIND the SCENES, Kerala, by LIJO.RENY.architects

The pavilion, named ‘BEHIND the SCENES’, for the celebrated ITFOK (International Theatre Festival of Kerala), was primarily designed to showcase the illustrious retrospective work by the famed scenic background artist ‘Artist Sujathan’.

Read More »

WE ARE HIRING /

ArchitectureLive! is hiring for various roles, starting from senior editors, content writers, research associates, graphic designer and more..