Smart city is the new buzz word among architects, planners and everyone else. 100 cities have been proposed to be developed as smart cities by the Govt. of India. Since the definition of a smart city and the actual blueprint for one is still missing, there is great debate and discussion happening over the same. Pulkit Soni comes up with a piece of poetry on smart city, in one of his favorite languages, Hindi.
स्मार्ट सिटी तुम रोज़ मेरे
क्यों तुम मुझे इतना सताती हो,
कभी तुम्हारे सीने पे दौड़ती मे
कभी में दिन में पांच सरकारी
तुम्हारे आँचल में न तो गर्मी
न ही गुल बत्तियों के डर से
ख़्वाबों में कभी कभी यादों में
ना दिखते हैं मुझे वह पीक से
ना बजते हैं कानो में अब वह हॉ
कभी न्यूज़ पे चिल्लाने वाला अधे
कभी बस्ता लिए स्कूल जाया करता था अब बस मुन्ना कंप्यूटर के आगे सर पैर हिलाता है,
कूड़ा अब बचा नहीं कैसे बताऊंगा मैं कौनसे जानवर सूअर कहलाते थे,
घर घर में अब पाखाने है कैसे समझाऊंगा लोग सडकों पर बोतल लिए लिए कहाँ जाते थे|
स्मार्ट सिटी तुम रोज़ मेरे सपनों में आती हो,
लोग बिना जाने तुम्हें फेल बताते हैं कुछ नोटों और वोटों का खेल बताते हैं
जलते हैं सब जो ऐसी झूठी बातें फैलाते हैं|
– पुलकित सोनी
2 Responses
Nice…I’m a little Hindi-challenged, but could get the gist pretty well. Good show! 🙂
Cool…I believe in the dream as well but not handicapped dream…very well written!! Good going!